Search This Blog

Monday 7 May 2012

अनुभव कथन : भारतीवीरा शिंदे




बापू तेरी महिमा शब्दों में कैसे बयां करुं.... 

 - भारतीवीरा शिंदे, अप्रैल-मे-जून २०१२, पृष्ठ क्रमांक ४

प्रारब्ध के भोग हर एक को अकेले ही भोगने पडते है । कोई रिश्तेदार हो या मित्र हो, ‘परिक्षा कक्ष में’, ‘ऑपरेशन टेबल पर’, ‘मौत से झूझते समय’, ‘कठिण समय मैं’ भौतिक स्तर पर कोई भी साथ नहीं देता । साथ होता है ‘अपना सद्‍गुरू’, ‘अपना संगी - साथी’, जिसका वचन है ’ मैं तुम्हारा कभी भी त्याग नहीं करूंगा’ । जो जनम से पहले और मृत्यू के बाद भी हम पर असीम प्रेम करता है, वास्तव मै ‘वो’ ही हमारा अपना होता है ।

भुसावल रहनेवाली भारतीवीरा शिंदे का कमरदर्द बिना ऑपरेशन से कैसे ठिक हुआ, यह पढने के लिए आजही अपने ‘कृपसिंधू’ मासिक की प्रत बचाकर रखें ।  वार्षिक सभासद नोंदणी फार्म के लिए यहा क्लिक करे |

। हरि ॐ ।

Monday 30 April 2012

अनुभव कथन : बलदीप (जिनी) लांबा



करें बच्चे की सुरक्षा...
- बलदीप (जिनी) लांबा




ऑफिस की बिल्डिंग में कन्स्ट्रक्शन का काम चालू था । वहां से गुजरते समय लोहे की बहुत भारी सलाखें टूटकर धाड से, कुछ ही अंतर पर नीचे आकर गिरीं । वह आघात इतना जोरदार था कि वे जहां पर गिरीं वहां रास्ते पर दरारें पड गयी थी । अगर वे मुझ पर आकर गिरतीं तो मैं तो कुचल ही जाती । बापू ने दर्शन देते वक्त नजरों से ही मुझे अभेध कवच प्रदन किया था, जिसे काल भी भेद नहीं सकता ।
। हरि ॐ ।

इस अनुभव को पढने के लिए कृपासिंधु त्रैमासिक के सभासद बनिये। कृपासिंधु की हिंदी आवृत्ती का प्रकाशन जनवरी, अप्रैल, जुलाई तथा अक्तुबर इन महिनों में होगा। वार्षिक सभासद नोंदणी फॉर्म के लिए यहॉं क्लिक किजिए। 


Thursday 12 April 2012

कृपासिंधु अप्रैल-मई-जून २०१२

कृपासिंधु अप्रैल-मई-जून २०१२

अनुक्रमणिका