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Monday, 30 April 2012

अनुभव कथन : बलदीप (जिनी) लांबा



करें बच्चे की सुरक्षा...
- बलदीप (जिनी) लांबा




ऑफिस की बिल्डिंग में कन्स्ट्रक्शन का काम चालू था । वहां से गुजरते समय लोहे की बहुत भारी सलाखें टूटकर धाड से, कुछ ही अंतर पर नीचे आकर गिरीं । वह आघात इतना जोरदार था कि वे जहां पर गिरीं वहां रास्ते पर दरारें पड गयी थी । अगर वे मुझ पर आकर गिरतीं तो मैं तो कुचल ही जाती । बापू ने दर्शन देते वक्त नजरों से ही मुझे अभेध कवच प्रदन किया था, जिसे काल भी भेद नहीं सकता ।
। हरि ॐ ।

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